दिल मुश्किल- Difficulties with the Heart

दिल
Photo by Miha Arh on Unsplash

काश कि वाक़ई खोल पाती मैं अपने दिल को,

तो निकाल बाहर करती अपने ज़ज़्बातों को दिल से।

झगड़ा ही ख़त्म हो जाता मेरा दुनिया से।

बस जज़्बात ही तो मेरे समझ नहीं आते उसको!

चलो, दिल खोलना नहीं,

तो सीने से दिल को निकालना ही सिखा देता कोई डॉक्टर!

पर डॉक्टरों को भी अब तक ये पता नहीं है-

ये दिल

रगों में खून ही नहीं,

आँखों में आँसू भी भरता है।


TRANSLATION

I wish that I could have literally opened my heart!
I would have driven my feelings out of the heart.
My fight with the world would have ended.
It’s my feelings only that the world fails to understand!

If not ‘opening’ the heart,
I wish a doctor would at least teach me to remove the heart from my body!

But even doctors do not know this fact yet.
The heart
doesn’t only fill blood in the veins,
It fills tears in the eyes too.

2 thoughts on “दिल मुश्किल- Difficulties with the Heart

  1. कुछ हूकें और कसक ,
    सिर्फ़ दिल के हिस्से होती हैं , कानों के नहीं ।
    और हर वो बात जो कही जाती हैं ,
    दरअसल
    हम वो कहना ही नहीं चाहते थे ।
    और जिस बात को कहना था ,
    ठीक वह ही बात
    कभी कह ही नहीं पाये ।

    गोया कि आँखों और पलकों ने कई बार कहा भी ।
    अफ़सोस कि सामने वो नज़र ,
    कभी नज़र ही नहीं आयी ….
    जो उस बोली को पढ़ पाती ।

    उसके दिल पर एक हथेली रखी यूँ
    कि उसकी थकन , टूटन और ग़म
    सारे हौले से हटा लूँ .. खामोशी के साथ ।

    लेकिन दिल के शीशे पर एक दरक
    इस बात कि रह गयी
    कि कोई
    साथ रहने के मायने ही नहीं समझ पाया ।

    दर्द इस बात का नहीं
    कि मरहम न मिला ।

    इस बात का दुख है
    कि समझा न गया कि
    आख़िर यह ज़ख़्म किस तासीर का है ..!

    ….सौजन्य : श्रीमती सरोज बिठू

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